शिवाजी महाराज
दोस्तों , शिवाजी महाराज यह मालोजीराजे जो भोसले घराने के वतनदार के पुत्र शाहजी और जाधव घराने के लखुजी जाधव की कन्या जीजाबाई इनके बेटे थे। मालोजी राजे निजामशाही के एक मातब्बर सरदार में से एक थे। शाहजी ने निजामशाही के लिए बरसो से काम किया लेकिन उनके ससुर जी को यानि लखुजि जाधव को मार दिया। इस बात से नाराज होकर शाहजी ने निजामशाही को अलविदा कर दिया। जब शाहजी ५ वर्ष के थे तब उनके पिता मालोजी का देहांत हो गया। उनके पिता की नाम की जहाँगीर शाहजी को विरासत से मिली।
शिवाजी महाराज
छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान प्रशासक थे। यह बात सबी को पता है, क्या आप सच में उन्के शुद्ध जीवनपत को जानना चाहते हो, तो आप के लिए इससे बेहतर अवसर कोई नहीं हो सकता । हमें गर्व है की हमारे महाराष्ट्र जैसे पावन भूमि में जन्म लेने वाला व्यक्तिमत्व जिसका हम कभी भी एहसान नहीं भूल पाएंगे। जिस हम में मोटिवेशन मिले और हम भी महाराज के तरह बनने का जैसा थोडा प्रयास कर सके।
दोस्तो, शिवाजी महाराज का जनम की 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में गई थी। उनके पिता का नाम shahaji भोसले और माता का नाम जीजाबाई था। लेकिन मेरे दोस्त यह सच नहीं है। दोस्तों हमने अब तक सुना है कि उनका जन्म शिवनेरी किले पर हुआ था, इसलिए उनका नाम बदलकर शिवाजी कर दिया गया। शिवाजी महाराज की माताजी जीजामाता भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी और उन्होंने भगवान शिव जी से कतुत्ववान पुत्र की आराधना की थी।दोस्तो शिवनेरी किला महाराष्ट्र के पुणे शहर के नजदिक में है। बीजापुर 2. अहमदनगर 3. गोवलकोंडा। दोस्तों, कोई भी बच्चा उसके माता-पिता की तरह होता है। जीजाबाई बड़ी धार्मिक थी ठीक वैसा ही संस्कार शिवाजी पे हुए। बचपन में वह महाभारत और रामायण जैसी कहानियां सुना करते थे। शिवाजी महाराज इन कहानियों से प्रेरित होकर उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगो को समर्पित कर दिया।
शिवाजी महाराज के गुरुजी दादा कोंडदेव से घुड़स्वरी, तरवरबाजी, निशानेबाजी सिखी।
शिवाजी महाराज का मुगलोसे हुआ मुकबाला
दोस्तो, यह वह दिन था जब शिवाजी महाराज पहली बार मुगलों से लड़ रहे थे। हमारे शिवाजी महाराज पूरी दुनिया में जाने जाते थे। औरंगजेब बहुत दिनों से छत्रपति को मारने के बारे में सोचता था।
यह खबर शिवाजी महाराज को पोहाचते ही अपने 350 मावलो को लेकर मुकाबाला करनेके लिए तैयार हो गए । औरंगजेब बहुत गुस्से में था शिवाजी महाराज का शासन 1674-1680 था। उनके जीवन के नाम: साईबाई, सोयाराबाई, पुतलबाई, सकावरबाई, लक्ष्मीबाई, काशीबाई।
अफजल खान-शिवाजी की यात्रा और प्रतापगढ़ का युद्ध
अफजल खान को शिवाजी महाराज को मारणे की लिये भेजा गया . जब शिवाजी महाराज को इस बात का पता चला तो उन्होने आपण प्रतापगड केले कि और निकल पड़े क्योकि उन्हें अफजल खान के बारे में कल्पना थी। अफजल खान को वाई परगने की जानकारी थी , इसी कारण महाराज ने उसे पत्र भेजा।
उसने अफजल खान को एक पत्र भेजकर कहा, "आप राजसी हैं, आपका पराक्रम महान है, आप मेरे पिता के ऋणी हैं, इसलिए आप भी मेरे शुभचिंतक हैं। मेरे लिए आपके आधार पर आना और आपसे मिलना सुरक्षित नहीं है। मैं करूंगा मेरे खंजर सहित जो कुछ तुम्हारे पास है, वह तुम्हें दे दो।” शिवाजी के इस खबर से अफजल खान बहुत खुश हो गया . क्योंकी उसे लगा की , शिवाजी बहुत कमजोर है , लेकिन उन्हें शिवाजी महाराज की कूटनीति की खबर नहीं। वह प्रतापगढ़ की और ख़ुशी से अपने खास लोगो के साथ निकल पड़ा। शिवाजी महाराज ने अच्छी तयारी की अफजल खान को मारने की और वह कामयाबी हुई। विशेष तौर पे मुख्य जबाबदारी घोड़दल प्रमुख नेताजी पालकर और पैदल प्रमुख मोरपंत पिगले पर सोप गयी। प्रतापगड के स्थल पर शामियाना बना गया। जैयत तैयारी हुई। शिवाजी महाराज ने माँ भवानी का आशीर्वाद लिया और अफजल खान का काम तमाम करने के लिए चल पड़े। महाराज के रक्षक गायकवाड, सिद्दी इब्राहीम, जिवाजी महाले यह थे तो दूसरी और अफजल खान का रक्षक सय्यद बंडा, शंकराजी मोहिते, पिलाजी मोहिते यह थे। मिलने के पहले दोनोने ही अपनी तलवार अपने रक्षक के पास दे दी। शिवाज को अफजल खान ने जैसे ही गले लगाया वैसे ही अफजल खान ने शिवजी को मारने के लिए तयारी की , लेकिन शिवाज महाराज ने बाघनखे अफजाल खान के पेट में मार दी और अफजल खान की मौत हो गयी। इसीप्रकार यह खबर पुरे हिंदुस्तान में पहुंच गयी , और सभी ने शिवजी की प्रसंशा की।
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